प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी की समाधि पर पहुँच उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी
Martyrs Day 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दुखद दिन पर महात्मा गांधी और देश की रक्षा करने वाले जवानों को याद किया जिन्होनें अपनी जान इस देश के लिए बलिदान कर दी, अपने भाषण में, उन्होंने इन बलिदानों से सीख लेने की बात कही और उनसे Martyrs Day पर इन महान लोगों द्वारा रखे गए दृष्टिकोण को साकार करने का आग्रह किया।
Martyrs Day 2024: के दिन महात्मा गांधी की मृत्यु वर्षगांठ पर उनके बलिदान का स्मरण
शहीद दिवस (Martyrs Day) महात्मा गाँधी की जयंती 30 जनवरी, 2024 को बड़े ही सम्म्मान के साथ मनाई गयी , 30 जनवरी, 2024 को नरेंद्र मोदी ने कई बातों का जिक्र अपने भाषण में किया जो कि महात्मा गाँधी से सम्बंधित था , 30 जनवरी, 2024 भारतीय इतिहास के रिकॉर्ड में ( Martyrs Day 2024 ) के रूप में भी दर्ज होने जा रहा है | नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि राष्ट्रीय पिता के जीवन के सिद्धांतों और शिक्षाओं पर हर युवा को विचार करना चाहिए , महात्मा गाँधी का जीवन और शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं हम उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं और ग्रहण कर सकते हैं ।
यह महात्मा गांधी के जीवन में विभिन्न पहलुओं, उनके महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव और इतिहास के इस महत्वपूर्ण दिन पर जो कि Martyrs Day है ,उन्होंने जो दिया उसे हर युवा और भारतवासी को याद रखने की आवश्यकता है।
महात्मा गांधी: अहिंसकता और शांति का पर्याय
2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में महात्मा गाँधी का जन्म हुआ था मोहन दास करमचंद्र गाँधी ये उनका पूरा नाम उनके माता पिता ने उन्हें दिया महात्मा गाँधी हमेशा से अहिंसा और शांति के प्रतीक थे। उनका विवाह बाल्यवस्था – 13 साल की उम्र में कस्तूरबा से हो गया था , उन्होंने अपने नैतिक मूल्यों को हमेशा अपने जीवन में सबसे ऊँचा रखा और अपना जीवन इन्ही समर्पित कर दिया यही नैतिक मूल्य जो देश की दिशा को प्रभावित करेंगे। कानून की उनकी पढ़ाई लंदन के मिडिल टेम्पल के हॉलवे में हुई, जिसने उनके जीवन में एक व्यापक बदलाव किया ।
Martyrs Day 2024
गांधीजी को उनके भाग्य ने 1893 में दक्षिण अफ्रीका जाने का अवसर दिया , जहां उन्होंने भेदभाव का अनुभव किया और इससे उनमे अहिंसक प्रतिरोध की भावना आई । उन्होंने बीस वर्षों तक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और Martyrs Day पर सत्याग्रह और अहिंसा के आदर्शों की नींव रखी, जिन्हें बाद में ब्रिटिश उपनिवेशवाद की जंजीरों से मुक्त होने के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया।
समानता और भारत छोड़ो आंदोलन का समर्थन करने के लिए भारत वापसी
गांधी जी 1915 में दक्षिण अफ्रीका में अपने प्राप्त अनुभव के साथ भारत लौटे । उसके बाद उन्होंने किसानों और शहरी मजदूरों को संगठित किया और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ विरोध की लौ जलाई। सत्याग्रह, जिसका अर्थ है “सत्य-बल”, और अहिंसा, जो अहिंसा को दर्शाता है उसका बिगुल उसके बाद बजाय गया , जो कि ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई में बड़े ही कारगर आंदोलन साबित हुए ।
उनका प्रभाव राजनीतिक सीमाओं को पार करते हुए वैश्विक स्तर पर नागरिक अधिकार आंदोलनों को मजबूत करते हुए आगे बढ़ता गया । प्रेम और सहिष्णुता गांधी जी के मुख्य विचारों थे , जिनकी वजह से गाँधी जी सभी के दिलों को जीतने और उन्हें परिवर्तित करने में सफल भी हुए , जिससे नेताओं और आम व्यक्तियों को सामाज में बदलाव के लिए अहिंसा को अपनाने के लिए प्रेरणा मिली।
छूआछूत और गरीबी के खिलाफ खोला मोर्चा
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रति गांधीजी हमेशा प्रतिबद्ध रहे, जिससे पकड़ राजनीतिक सीमाओं से बाहर तक फैली गयी थी। उन्होंने छूआछूत के खिलाफ देशव्यापी अभियान का नेतृत्व किया, इसे एक गलत और अमान्य व्यवहार के तरह वासियो के सामने रखा , जिससे छुटकारा मिलना चाहिए | साथ में, महिलाओं के अधिकारों के प्रति उनके समर्थन ने एक निष्पक्ष समाज का व्यापक खाका प्रस्तुत किया। (Martyrs Day) इसीलिए एक ऐसा दिन है जो इन सबको भावभीनी श्रद्धांजलि देता है
सामाजिक समानता को फिर से स्थापित करने के लिए 12 मार्च, 1939 को बिड़ला मंदिर का उद्घाटन गांधी जी ने किया था। इस बात पर जोर देते हुए कि मंदिर सभी जातियों के लोगों का स्वागत करता है, उन्होंने सभी पूजा स्थलों के लिए एक मिसाल कायम करते हुए, जाति-आधारित प्रतिबंधों को समाप्त करने की मांग की।
शिक्षा के पक्षधर थे गांधी जी, वाल्मिकी मंदिर में किया था विचारों का विकास
शिक्षा में गांधी का योगदान उनकी विरासत का एक बहुत कम जानकार पहलू है। गांधीजी 1946 में वाल्मिकी मंदिर में 214 दिनों तक वाल्मिकियों के साथ रहे थे, जो ऐतिहासिक रूप से सफाई परियोजनाओं पर काम करने वाले लोगों का एक समूह था। उनकी साक्षरता की कमी से आश्चर्यचकित होकर, उन्होंने वाल्मिकी बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया। उनका मानना था कि शिक्षा ही लोगों के जीवन को बदलने का तरीका है।
शिक्षा के प्रति गांधीजी का समर्पण वाल्मिकी मंदिर में सभी को बहुत ही अच्छा लगा । गाँधी जी ने तर्क दिया कि सभी लोगों की कॉलेजों और विश्वविद्यालयों तक समान पहुंच होनी चाहिए और शिक्षा के सभी केंद्रों तक हर समुदाय के लिए खुली पहुंच हो इसका भी उन्होंने समर्थन किया। अपनी सोंच को फिर से दोबारा दोहराते हुवे उन्होंने यंग इंडिया और हरिजन जैसी पत्रिकाओं में छुआछूत की प्रथा का कड़ा विरोध किया
Martyrs’ Day का महत्व और वैश्विक प्रभाव
जैसा कि हम 2024 में महात्मा गांधी की पुण्य तिथि मना रहे हैं, महात्मा गांधी के सिद्धांतों के वैश्विक प्रभाव पर विचार करना जरूरी है। 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में नामित, 2 अक्टूबर शांति के प्रति गांधी की प्रतिबद्धता का सम्मान करने के लिए एक दिन ( Martyrs Day 2024 ) नियुक्त किया गया है । यह दिन अहिंसा की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देता है |
Martyrs Day 2024
महात्मा गांधी के बोले गए वाक्य उनकी शिक्षाओं की समृद्धि को दर्शाते हैं
- “मानवता की महानता मानव होने में नहीं बल्कि मानवीय होने में है।”
- “आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।”
- “पृथ्वी हर आदमी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त सामग्री प्रदान करती है, लेकिन हर आदमी के लालच को नहीं।”
- “आपको मानवता में विश्वास नहीं खोना चाहिए। मानवता एक महासागर की तरह है; यदि समुद्र की कुछ बूँदें गंदी हैं, तो समुद्र गंदा नहीं हो जाता।”
- “बिना आनंद के की गई सेवा न तो नौकर की मदद करती है और न ही सेवा करने वाले की।”
- “एक आदमी अपने विचारों का ही स्वरुप है। वह जो सोचता है, वह बन जाता है।”
- “स्वतंत्रता का कोई महत्व नहीं है यदि इसमें गलतियाँ करने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है।”
- “मनुष्य को अपने भाग्य का निर्माता माना जाता है। यह केवल आंशिक रूप से सत्य है। वह अपना भाग्य तभी तक बना सकता है, जब तक महान शक्ति उसके साथ है ।”
Martyrs Day– गांधी के अंतिम क्षणों में शोक में डूबा एक राष्ट्र
30 जनवरी, 1948 की दुर्भाग्यपूर्ण शाम को, महात्मा गांधी का जीवन तब समाप्त हो गया जब वह बिड़ला भवन में एक शाम की प्रार्थना सभा के लिए गए। हत्यारे, नाथूराम गोडसे – ने तीन गोलियाँ चलाईं महात्मा गाँधी पर चलाई , Martyrs Day उन्ही सिद्धांतों के लिए याद किया जाता है महात्मा गाँधी सिद्धांत युगों युगों तक कायम रहेंगे।
बिड़ला मंदिर और वाल्मिकी मंदिर की एक झलक
बिड़ला मंदिर गांधी जी के समानता के प्रति समर्पण का प्रमाण है। ये इस समझ के साथ बनाया गया कि सभी जातियों को यहां आने की अनुमति दी जाएगी, यह पूजा घरों में जाति-आधारित विभाजन को खत्म करने के उनके लक्ष्य का प्रतिनिधित्व करता है।
गांधीजी ने 1946 में वाल्मिकी मंदिर में 214 दिन बिताए थे, जो मंदिर मार्ग के बगल में स्थित है। उन्होंने सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ा और यहां के वाल्मिकी बच्चों को पढ़ाने के लिए खुद ही बीड़ा उठाया । वह जिस स्थान पर रहते थे वह अब समानता और शिक्षा का मंदिर है, जिसमें सीपिया टोन में चित्र हैं।
नरेंद्र मोदी ने किया गांधीवादी मूल्यों को अपनाने का आह्वान
महात्मा गांधी की शिक्षाएं हमें समान भावना , अहिंसा और शांति के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करती हैं क्योंकि हम खुद (Martyrs Day 2024) में उनके दी गयी शिक्षाओं को याद करते हैं। (Martyrs Day 2024) एक ऐतिहासिक दिवस है जो कि हमारे देश को अन्याय और हिंसा से निकालने में सहायता कर सकता है आज संसार में युद्ध और हिंसा चरम पे है Martyrs Day विश्व में आशा की एक किरण है और यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम उन मूल्यों को कायम रखते हुए उनकी विरासत को आगे बढ़ाएँ जिनके लिए महात्मा गाँधी ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. Continue to Site